न्यायमूर्ति श्री जे.बी. पर्दीवाला

इनका जन्म 12 अगस्त, 1965 को मुंबई में हुआ। इन्होने वर्ष 1985 में जे.पी. आर्ट्स कॉलेज, वलसाड से स्नातक किया। इन्होंने वर्ष 1988 में के.एम. लॉ कॉलेज, वलसाड से विधि की उपाधि प्राप्त की और 18 नवंबर 1988 को सनद प्राप्त की।
ये वकीलों के परिवार में जन्मे। ये दक्षिण गुजरात के वलसाड नामक मूल शहर से हैं। इनके परदादा श्री नवरोजी भीखाजी पारदीवाला ने वर्ष 1894 में वलसाड में वकालत शुरू की। इनके दादाजी श्री कावासजी नवरोजी पारदीवाला 1929 में वलसाड में एक बार में शामिल हुए और 1958 तक वकालत की। इनके पिता श्री बुर्जोर कावासजी पारदीवाला 1955 में वलसाड में बार में शामिल हुए और दिसंबर, 1989 से मार्च, 1990 तक की अवधि के लिए 7वीं गुजरात विधान सभा के अध्यक्ष भी रहे।
इन्होंने जनवरी, 1989 से वलसाड में वकालत शुरू की। सितंबर, 1990 में ये गुजरात उच्च न्यायालय, अहमदाबाद में स्थानांतरित हो गये। इन्होंने विधि की सभी शाखाओं में वकालत की।
ये 1994 से 2000 तक बार काउंसिल ऑफ गुजरात के सदस्य रहे। इन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासन समिति के मनोनीत सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया गया था। इन्होंने बार काउंसिल ऑफ गुजरात के प्रकाशन, गुजरात लॉ हेराल्ड के मानद सह-संपादक के रूप में काम किया।
इन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य के रूप में कार्य किया। इन्हें 2002 से गुजरात उच्च न्यायालय और उसके अधीनस्थ न्यायालयों के लिए स्थायी अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था और पीठ में पदोन्नत होने तक ये इसी पद पर बने रहे।
17 फरवरी, 2011 को इन्हें गुजरात उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 28 जनवरी, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि की गई।
9 मई, 2022 को इन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।