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    डिफ़ॉल्ट-सूची

    याचिका की सॉफ्ट प्रति दायर नही की गई

    1.1 दिनाँक 17.6.1997 की अधिसूचना के अनुसार प्रमाण पत्र के साथ फार्म संख्या 28 में वि.अ.या.(सिविल) दाखिल न करना

    1.2 न्यायालय शुल्क में कमी -अधिक न्यायालय शुल्क की आवश्यकता है

    1.3 वि.अ.या. के समर्थन में एओआर द्वारा प्रमाणपत्र दाखिल न करना

    1.4 अंतिम या अंतरिम आदेश के विरुद्ध वि.अ.या. दाखिल करने के संबंध में कोई स्पष्टीकरण नही

    1.5 वि.अ.या की तारीखों और पैरा 1 की सूची में नीचे उच्च न्यायालय/न्यायालयों के निष्कर्षो को उल्लेख न करना

    1.6 अंतरिम राहत के लिए प्रार्थना में अधूरी प्रार्थना/संपत्ति, भूमि आदि का विवरण उल्लेखित नहीं/सही ढंग से उल्लेखित नहीं।

    1.7 दाखिल/आहरित करने की तारीख का उल्लेख न किया जाना।

    1.8 मुख्य मामले को चुनौती क्यों नहीं दी गई?

    2.1 तारीखों/घटनाओं की संक्षिप्त सूची दाखिल न करना।

    2.2 लंबी सूची दाखिल करने की अनुमति के लिए आवेदन दाखिल न करना।

    2.3 अनुच्छेदों की गलत संख्या और कागजी पुस्तकों का पृष्ठांकन और सूचकांक में विवरण।

    2.4 पेपर-पुस्तकों के सूचकांक में पृष्ठ संख्या के साथ वॉल्यूम संख्या का उल्लेख न करना।

    2.5 हरे/सफेद शीट पर कारण शीर्षक के साथ सीमा पर कार्यालय रिपोर्ट दाखिल न करना।

    2.6 तिथियों/याचिका की सूची में अनुलग्नकों की पृष्ठ संख्या का उल्लेख न किया जाना।

    2.7 तारीखों/याचिका की सूची में अनुलग्नकों के विवरण का गलत उल्लेख।

    2.8 सूचकांक में अनुलग्नकों के विवरण का गलत उल्लेख।

    2.9 पृष्ठ संख्या पर न्यायालय के नाम का गलत उल्लेख।

    2.10 पेपर बुक्स के आवरण पृष्ठ और पेज बी पर निर्धारण वर्ष का विवरण न होना

    2.11 तारीखों की सूची (आयकर मामला) और/या सूचीबद्ध प्रोफार्मा का कॉलम 9 नही भरा गया है

    3.1 कागज के एक तरफ दोहरी जगह में नहीं।

    3.2 पृष्ठ संख्या…………. स्पष्ट नहीं/सुपाठ्य/छोटा फ़ॉन्ट/धुंधला/गायब।

    3.3 पृष्ठ संख्या � ….रेखांकित/मुख्य अंश/रिक्त/ जर्जर स्थिति समविष्ट है

    3.4 पृष्ठ……क्षैतिज रूप से शामिल नहीं हैं।

    3.5 पृष्ठों के ऊपर दाई ओर पर पृष्ठ इंगित न होना

    4.1 याचिका/आवेदन/प्रमाण पत्र में अधिवक्ता/स्वंय पक्षकार के हस्ताक्षर न होना

    5.1 सूचना पर समविष्ट बयानों वाला शपथ पत्र दाखिल न करना क्या अभिसाक्षी ने आधिकारिक अभिलेख सहित इस जानकारी के स्रोत का खुलासा किया है

    5.2 शपथ पत्र दाखिल न करना जिसमें यह कथन हो कि याचिका में बताए गए तथ्य अभिसाक्षी के ज्ञान, जानकारी और विश्वास के अनुसार सही हैं।

    5.3 सही ढंग से निष्पादित शपथ पत्र दाखिल न करना।

    5.4 अभिसाक्षी की क्षमता का गैर-प्रकटीकरण [यदि मामला संगठन/कंपनी/अधिवक्ता की ओर से दायर किया गया है]।

    5.5 शपथ पत्र में रिक्त स्थान।

    6.1 स्थानीय भाषा के दस्तावेज़ों का अनुवाद न दाखिल करना।

    6.2 अनुवादित दस्तावेज़ों के अनुलग्नक संख्याओं का उल्लेख न करना।

    6.3 आधिकारिक अनुवाद दाखिल करने से छूट के लिए शपथ पत्र और न्यायालय शुल्क के साथ आवेदन दाखिल न करना।

    7.1 उपशमन को अपास्त करने के लिए आवेदन दाखिल न करना।

    7.2 प्रतिस्थापन के लिए आवेदन दाखिल न करना जिसमें मृत्यु की तिथि/आयु/संबंध और वि.प्र. के पते से संबंधित विवरण शामिल हों

    7.3 प्रतिस्थापन के लिए आवेदन दाखिल न करना जिसमें मृत्यु की तिथि/आयु/संबंध और वि.प्र. के पते से संबंधित विवरण शामिल हों

    7.4 प्रतिस्थापन आवेदन में मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति दाखिल न करना।

    7.5 प्रतिस्थापन दाखिल करने में विलम्ब की माफी के लिए आवेदन दाखिल न करना।

    7.6 प्रतिस्थापन के लिए आवेदन के साथ वि.अ.या. दायर करने की अनुमति के लिए आवेदन दाखिल न करना। (आक्षेपित आदेश पारित होने से पहले याचिकाकर्ता की मृत्यु के मामले में)

    7.7 जनभाषा में मृत्यु प्रमाणपत्र का अनुवाद दाखिल न करना

    8.1 वकालतनामा/उपस्थिति ज्ञापन का अनुचित निष्पादन।

    8.2 कल्याण(निधि) स्टाम्प का न लगाया जाना।

    8.3 वकालतनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए निष्पादक की क्षमता का उल्लेख न करना।

    8.4 अंग्रेजी/अनुवादित प्रति में मुख़्तारनामा दाखिल न करना।

    8.5 जेल से प्रमाणित वकालतनामा सम्मिलित न होना।

    9.1 व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और बहस करने की अनुमति मांगने वाला आवेदन व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता द्वारा दायर नहीं किया गया है।

    10.1 याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए कोई शपथ पत्र दायर नहीं किया है कि जनहित याचिका दायर करने का कोई व्यक्तिगत लाभ, निजी मकसद या परोक्ष कारण नहीं है।

    10.2 जनहित याचिका दायर करने में रिट याचिका के पैरा 1क में पंजीकरण और प्राधिकरण के संबंध में विवरण प्रस्तुत न करना।

    10.3 यदि जनहित याचिका के रूप में दायर किया गया है तो आदेश XXXVIII सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट, 2013 के संदर्भ में रिट दायर नहीं की गई है।

    10.4 रिट याचिका के पैरा 1 क में याचिकाकर्ता द्वारा संबंधित प्राधिकारी/प्रत्यर्थीगण से आवेदन/अभ्यावेदन और परिणाम की प्रति के साथ संपर्क करने के संबंध में उल्लेख न किया जाना।

    10.5 रिट याचिका में निजी पक्षों को प्रत्यर्थी के रूप में क्यों रखा गया?

    11.1 प्रमाण के साथ याचिका दायर करने के लिए निकाय द्वारा जारी प्राधिकार पत्र दाखिल न किया जाना।

    11.2 यदि किसी अधिनियम या नियम के तहत पंजीकृत निकाय द्वारा याचिका दायर की जाती है तो पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रति दाखिल न करना।

    12.1 सुप्रीम कोर्ट के नियमों के आदेश XXI नियम 3/आदेश XXII नियम 2 के संदर्भ में याचिका/अपील में बयान का उल्लेख न करना। (क्या याचिकाकर्ता ने पहले आक्षेपित आदेश/निर्णय के खिलाफ कोई याचिका दायर की है, और यदि हां, तो उसका परिणाम बताया गया है)।

    12.2 क्या याचिकाकर्ता ने समान राहत के लिए कोई याचिका दायर की है।

    12.3 यह विवरण प्रस्तुत न करना कि क्या ले.पे.अ. या रिट अपील आक्षेपित निर्णय के विरुद्ध है और क्या उक्त उपाय का लाभ उठाया गया है।

    13.1 आक्षेपित निर्णय की प्रमाणित प्रति दाखिल न करना।

    13.2 उच्च न्यायालय का नाम, वाद शीर्षक आदि आक्षेपित आदेश/गलत प्रकरण संख्या की सादी प्रति में नहीं दिखाया गया है।

    13.3 चूंकि प्रमाणित प्रति उपलब्ध नहीं है, इसलिए प्रमाणित प्रति दाखिल करने से छूट के लिए आवेदन दायर नहीं किया गया है।

    13.4 प्रमाणित प्रति के साथ-साथ विवादित आदेश की सादी प्रति के बिना ले.पे.अ. दाखिल करने की अनुमति मांगने वाला आवेदन दाखिल नहीं किया गया।

    13.5 प्रमाणित प्रति और टाइप की गई प्रति की सामग्री मेल नहीं खाती।

    14.1 आक्षेपित निर्णयों का विवरण सभी दस्तावेज़ों में एकरूपता से नहीं लिखा गया है।

    15.1 पक्षकारों का ज्ञापन दाखिल न किया जाना, जैसा कि आक्षेपित निर्णय में विस्तृत कारण शीर्षक नहीं दिया गया है।

    15.2 अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष पेश हुए अधिवक्ता का नाम और पता न बताना, क्योंकि याचिका अंतरिम आदेश के खिलाफ है – जिसे अलग से दिया जाना है।

    15.3 पार्टियों और उनके प्रतिनिधित्व के अपूर्ण/गलत पते/स्थिति।

    15.4 पृथक्करण वाद शीर्षक नही दिखाया गया (यदि एक से अधिक मामला हो)।

    15.5 याचिका/अपील का कारण शीर्षक, आक्षेपित निर्णय के अनुरूप नहीं और उसमें पार्टियों के नाम।

    15.6 प्रतियोगी/प्रोफार्मा(निर्दशनपत्र) उत्तरदाताओं का अलग से उल्लेख नहीं किया गया है। (प्रतियोगी प्रत्यर्थी का विरोध को पहले नहीं दिखाया गया)।

    15.7 प्रत्येक याचिकाकर्ता के नाम और पते के साथ-साथ उच्च न्यायालय और निचली अदालत के समक्ष स्थिति के बारे में विवरण नहीं दिया गया है (जहां एक से अधिक याचिकाकर्ताओं द्वारा जमानत मांगी गई है)।

    15.8 भारत के राष्ट्रपति/राज्यपाल/न्यायाधिकरण/न्यायिक अधिकारी को पक्षकार क्यों बनाया गया है?

    16.1 अपील निर्णय के साथ नहीं है और डिक्री के साथ आदेश देने के प्रमाण पत्र के साथ अपील की गई है। (प्रमाणपत्र द्वारा अपील के मामले में)।

    17.1 विलंब के दिनों की संख्या का उल्लेख न करना।

    17.2 समय वर्जित याचिका/अपील में देरी की माफी के लिए आवेदन दाखिल न करना (शपथ पत्र और न्यायालय शुल्क के साथ)।

    18.1 भिन्न-भिन्न अनुबंध दाखिल किए जाएं, सामूहिक रूप से नहीं।

    18.2 अनुलग्नक… याचिका में उल्लिखित दस्तावेजों की नीचे दी गई अदालत के समक्ष सही प्रतियां नहीं हैं/अनुलग्नक तारीखों की सूची के अनुसार कालानुक्रमिक क्रम में नहीं हैं।

    18.3 अनुलग्नकों की तारीखें… मिलान न करें।

    18.4 अनुलग्नकों की तारीखें – नहीं दी गई हैं।

    18.5 अनुलग्नकों की केस संख्या–नहीं दी गई है।

    18.6 निर्णय/आदेश/अधिसूचना/पुरस्कार/अनुलग्नक/स.अ./परिशिष्ट/प्रदर्श/पत्र दिनाँक की प्रति दाखिल न करना…

    18.7 स्थानांतरण याचिका में याचिका की प्रति दाखिल न करना। (मामला संख्या/कारण शीर्षक/स्थानांतरण न्यायालय विवरण का उल्लेख नहीं किया गया है)।

    19.1 अतिरिक्त आधार लेने/शपथपत्र और न्य्यायालय शुल्क के साथ दस्तावेज दाखिल करने के लिए आवेदन दायर नहीं किया गया (याचिका/अपील नीचे दिए गए न्यायालय/न्यायाधिकरण में दलीलों तक ही सीमित रहेगी) (पैरा संख्या 4 और वि.अ.या का प्रमाण पत्र तदनुसार तैयार किया जाएगा)।

    19.2 अतिरिक्त आधार/दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने के लिए आवेदन में पृष्ठ संख्या के साथ अनुलग्नकों का उल्लेख न करना/अनुचित उल्लेख करना।

    19.3 अतिरिक्त आधार/दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने के लिए आवेदन के साथ अनुलग्नक दाखिल न करना।

    20.1 नियमित द्वितीय अपील के खिलाफ दायर वि.अ.या के मामले में विचारण न्यायालय/प्रथम अपीलीय अदालत के आदेशों की प्रतियां दाखिल न करना।

    20.2 निम्न न्यायालयों के आदेशों की प्रतियां दाखिल न करना।

    21.1 अभ्यपर्ण से छूट के लिए आवेदन दाखिल न करना

    21.2 याचिका में यह विवरण न देना कि क्या याचिकाकर्ता ने अभ्यपर्ण किया है। (सजा से लेकर कारावास की अवधि तक के मामले में)।

    21.3 पेपर बुक में अभ्यपर्ण/अभिरक्षा प्रमाणपत्र की प्रति शामिल न करना।

    21.4 जेल से सत्यापित अभिरक्षा प्रमाणपत्र को शामिल न किया जाना।

    21.5 सभी दोषियों के संबंध में अभ्यपर्ण प्रमाण/अभिरक्षा प्रमाणपत्र की प्रति दाखिल न करना

    21.6 जहां अभ्यपर्ण का प्रमाण/जेल प्राधिकरण से भिन्न प्रमाण पत्र दाखिल नहीं किया गया है, वहां अभ्यपर्ण का अलग प्रमाण दाखिल करने से छूट के लिए आवेदन दाखिल न करना।

    21.7 जमानत के लिए आवेदन में पहले ही काट ली गई सजा की अवधि का उल्लेख न करना।

    22.1 दं.प्र.सं. की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका की प्रति दाखिल न करना (प्राथमिकी अभिखंडित करने के मामले में)।

    23.1 प्राथमिकी की प्रति/ प्राथमिकी की अनुवादित प्रति दाखिल नहीं की गई। (अग्रिम जमानत/गिरफ्तारी पर रोक के मामले में)।

    24.1 अभियुक्त द्वारा बिताई गई हिरासत की अवधि का उल्लेख न करना (दोषमुक्ति किए जाने के खिलाफ दायर मामलों में)।

    24.2 कागज-पुस्तकों में भरे गए, हस्ताक्षरित पूर्ण सूची निदर्शन पत्र (प्रोफार्मा) को शामिल न किया जाना।

    25.1 उच्चतम न्यायालय द्वारा लंबित/निपटाए गए किसी भी समान मामले का पूरा विवरण न देना।

    26 नियमों के आदेश XIX खंड 3(1) के संदर्भ में विवरण, अपील की याचिका में नहीं दिया गया है।

    27.1 50,000/- रुपये जमा करने का प्रमाण दाखिल न करना (राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 23 के तहत अपील के मामले में)।

    28.1 अपील दायर करने की अनुमति देने से इनकार/अनुमति देने के आदेश को दाखिल न करना (सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील के मामले में)

    29.1 कैश शाखा से प्राप्त रु. 15,000/- की रसीद दाखिल नहीं की गई।

    29.2 यदि वाणिज्यिक मुकदमेबाजी का मामला है, तो सभी पक्षों के सीडी प्रारूप/ई-मेल पते दाखिल नहीं किए गए हैं।

    29.3 धारा 11 की उपधारा जिसके तहत मध्यस्थता याचिका दायर की गई, उसका उल्लेख नहीं किया गया है।

    29.4 याचिका में चुनौती दिए गए समझौते के खंड का उल्लेख नहीं किया गया है।

    29.5 याचिका में उल्लिखित अनुलग्नकों के विवरण के साथ पृष्ठांकन।

    29.6 पैरा अर्थात मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11 में निर्धारित सभी शर्तें पूरी की गई हैं, नहीं दिया गया है और उनके समर्थन में शपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया है।

    29.7 मूल मध्यस्थता पंचाट या विधिवत प्रमाणित प्रति या समझौते की प्रमाणित प्रति दाखिल करने से छूट के लिए आवेदन, दाखिल नहीं किया गया।

    29.8 मध्यस्थता पंचाट के पक्षकारों के नाम और पते नहीं दिए गए हैं।

    29.9 पहले से नियुक्त मध्यस्थों के नाम और पते, यदि कोई हों, नहीं दिए गए हैं।

    29.10 उस व्यक्ति या संस्था का नाम और पता, यदि कोई हो, जिसे मध्यस्थता पंचाट के पक्षकारों द्वारा उनके द्वारा सहमत नियुक्ति प्रक्रिया के तहत कोई कार्य सौंपा गया हो, नहीं दिया गया है।

    29.11 पार्टियों की सहमति से मध्यस्थों के लिए आवश्यक योग्यताएं, यदि कोई हों, नहीं दी गई हैं।

    29.12 विवाद की सामान्य प्रकृति और मुद्दे के बिंदुओं का वर्णन करने वाला संक्षिप्त लिखित विवरण नहीं दिया गया है।

    29.13 राहत या उपाय मांगा गया, नहीं दिया गया।

    29.14 प्रासंगिक दस्तावेजों द्वारा समर्थित शपथ पत्र, इस आशय का कि माननीय को अनुरोध करने से पहले, धारा 11 की उप-धारा (4) या (5) या (6) के तहत शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश को संतुष्ट किया गया है, नहीं दिया गया.

    30.1 मामले की प्रकृति के बारे में गैर-स्पष्टीकरण, चाहे वह दीवानी हो या फौजदारी।

    30.2 इस बात का स्पष्टीकरण नहीं कि उच्च न्यायालय/न्यायाधिकरण से संपर्क किए बिना वि.अ.या./अपील क्यों दायर की गई।

    30.3 यदि स्थानांतरण याचिका में प्रथिमिकी को स्थानांतरित करने की मांग की गई है तो वकील का कोई स्पष्टीकरण नहीं।

    30.4 रिट याचिका (जहां वि.अ.या./वाणि.अपी. पहले ही दायर/निस्तारित) की रखरखाव के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं है।