न्यायमूर्ति पंकज मित्थल

इनका जन्म 17 जून 1961 को मेरठ में एक वकीलों के परिवार में हुआ था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट मैरी एकेडमी, मेरठ में प्राप्त की। इन्होंने 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.कॉम (ऑनर्स) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में इन्होनें मेरठ कॉलेज, मेरठ में दाखिला लिया और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से विधि की उपाधि प्राप्त की। इन्होंने 1985 में बार काउंसिल ऑफ यूपी में दाखिला लिया और इन्होंने श्री सुधीर चंद्र वर्मा के सक्षम मार्गदर्शन में वकालत करना शुरू किया, जिन्होनें बाद में न्यायाधीश के रूप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ को सुशोभित किया और फिर लोकायुक्त (यूपी) बने। इन्होंने मुख्य रूप से सिविल क्षेत्र में वकालत की और इन्होंने भूमि अधिग्रहण, किराया नियंत्रण, शिक्षा, मोटर दुर्घटना, श्रम और सेवा तथा संवैधानिक सहित अन्य विविध मामलों के बहुत सारे केस लड़े। उन्होंने उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ और डॉ. बी.आर.अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के लिए स्थायी अधिवक्ता के तौर पर कार्य किया। ये अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के वकील थे और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने वाली दूसरी पीढ़ी के व्यक्ति थे। इनके पिता न्यायमूर्ति नरेंद्र नाथ मिथल भी 14 दिसंबर, 1978 से 7 अप्रैल, 1992 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे थे। इन्हें स्वयं 7 जुलाई, 2006 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। वर्ष 2020 में इन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। 4 जनवरी, 2021 को इन्हें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में पदोन्नत किया गया। 14 अक्टूबर, 2022 को इन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में हस्तांतरित कर दिया गया। ये चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की कार्यकारी परिषद के लिए राज्यपाल द्वारा नामित व्यक्ति हैं। ये इटावा हिंदी सेवा निधि के न्यासी और न्यायमूर्ति नरेंद्र नाथ मिथल मेमोरियल फाउंडेशन के संस्थापक न्यासी हैं, जो इनके दिवंगत पिता की स्मृति में इनकी माँ द्वारा स्थापित एक न्यास है। ये 6 फरवरी, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत हुए और 16 जून, 2026 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।