न्यायमूर्ति हेमन्त गुप्ता

17.10.1957 को जन्म। कानून के पेशेवरों के परिवार से संबंध रखते हैं। उनके दादा एक प्रमुख सिविल वकील थे, जिन्होंने 65 वर्ष की आयु में अपने पेशेवर करियर के चरम पर स्वेच्छा से प्रैक्टिस छोड़ दी थी। उनके पिता वर्ष 1991 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
जुलाई, 1980 में एक वकील के रूप में नामांकित हुए और जिला न्यायालय में शुरुआती कुछ वर्ष बिताने के बाद उच्च न्यायालय में अभ्यास किया। मुख्यतः दीवानी मामले निपटाए जाते थे। 1997 से 1999 तक पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी काम किया।
2.7.2002 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 10 वर्षों से अधिक समय तक पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की कंप्यूटर समिति के सदस्य रहे। इस अवधि में उच्च न्यायालय का पूर्ण कम्प्यूटरीकरण हुआ, जिसमें न्यायिक फाइलों के संपूर्ण रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और नए दायर मामले को स्कैन करने के लिए एक तंत्र विकसित करना, केस प्रबंधन प्रणाली की शुरूआत, ई-डायरी की शुरुआत, मामलों की ई-फाइलिंग शामिल थी। पेपर बुक मॉड्यूल तक पहुंच, निर्णयों और दैनिक/अंतरिम आदेशों की ऑनलाइन उपलब्धता, एसएमएस का व्यापक उपयोग, मैनुअल पेशी रजिस्टरों से वितरण, ई-निरीक्षण, निर्णय/आदेशों की ई-प्रति ) स्वचालित केंद्रीकृत प्रतिलिपि एजेंसी बनाकर। जुलाई 2012 से जनवरी 2016 तक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण, यूटी चंडीगढ़ के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे।
8.2.2016 को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला और 29.10.2016 को उस उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 18.3.2017 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
2.11.2018 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया।