डॉ. न्यायमूर्ति टी.के. थोमेन

डॉ. टी.कोचू थॉमन , एम.ए., एल.एल.डी., बैरिस्टर-एट-लॉ, न्यायाधीश, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के। थमरप्पल्लिल कोचू थॉमन का जन्म 26 सितंबर 1928 को कोट्टायम में हुआ। कला स्नातक (ऑनर्स), इतिहास और राजनीति, 1951, मद्रास। मास्टर ऑफ आर्ट्स, 1952 मद्रास। बैरिस्टर-एट-लॉ, 1956, लिंकन इन, लंदन। मास्टर ऑफ लॉ, 1960, लेडेन, हॉलैंड। डॉक्टर ऑफ लॉ, 1962, लेडेन। वर्तमान में न्यायाधीश, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, 14 दिसंबर, 1988 से। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में: 9 मई, 1975 से 13 दिसंबर, 1988 तक केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश। (1985 और 1988 के दौरान केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में कार्य किया)। अधिवक्ता के रूप में: 28 नवंबर, 1956 को इंग्लैंड के क्वींस बेंच डिवीजन के उच्च न्यायालय के बैरिस्टर की नामावली पर हस्ताक्षर किया। 11 नवंबर, 1957 को केरल उच्च न्यायालय के एक अधिवक्ता के रूप में नामांकित। संयुक्त राष्ट्र के साथ: व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यू.एन.सी.टी.ए.डी.), जिनेवा, 1967-70 में शिपिंग विधि में सलाहकार। पोर्ट ऑपरेशन और एडमिरल्टी विधि 1970, में जमैका सरकार के संयुक्त राष्ट्र सलाहकार। विश्वविद्यालय में: 1985 से केरल विश्वविद्यालय में विधि स्नातकोत्तर अध्ययन बोर्ड के अध्यक्ष। रस्क सेंटर जॉर्जिया विश्वविद्यालय, एथेंस में वरिष्ठ विद्वान , यू.एस.ए., अप्रैल, 1988। संकायाध्यक्ष(डीन), विधि संकाय, कोचीन विश्वविद्यालय, 1980-85। सदस्य विधि अध्ययन बोर्ड, कोचीन विश्वविद्यालय, 1974-80। सदस्य, विधि अध्ययन बोर्ड, कालीकट विश्वविद्यालय, 1977-78। सदस्य, विधि संकाय, कोचीन विश्वविद्यालय, 1976-85। सदस्य, विधि में स्नातकोत्तर अध्ययन बोर्ड, केरल विश्वविद्यालय, 1967-69। अध्यापन : अंशकालिक। विधि के मानद प्रोफेसर, लॉ कॉलेज, कोचीन 1966-67। अंतर्राष्ट्रीय विधि में अंशकालिक व्याख्याता, लॉ कॉलेज, मद्रास, 1964-65। इतिहास और राजनीति विज्ञान में शिक्षक, प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास, 1951-52। अनुसंधान फ़ेलोशिप: नीदरलैंड सरकार अनुसंधान अध्येता, लेडेन विश्वविद्यालय, 1960-62; विषय: अंतर्राष्ट्रीय विधि में सरकारी व्यापारिक जहाजों की कानूनी स्थिति। अध्येता, द हेग एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल लॉ, सेंटर फॉर रिसर्च, 1964; विषय: अंतर्राष्ट्रीय कानून में राज्य संप्रभुता की अवधारणा। इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज, लंदन विश्वविद्यालय में रॉकफेलर अनुसंधान अध्येता, 1965-66; विषय: नौवहन कानून का अंतर्राष्ट्रीय एकीकरण। प्रकाशनों में शामिल हैं: ‘अंतर्राष्ट्रीय विधि में सरकारी व्यापारिक जहाजों की विधिक स्थिति’ (मार्टिनस निज ऑफ, द हेग, 1962)। नौवहन पर अंतर्राष्ट्रीय विधान (संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क, 1968 – अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश में प्रकाशित)। ‘बिल्स ऑफ लैडिंग इन इंटरनेशनल लॉ एंड प्रैक्टिस’, ईस्टर्न बुक कंपनी, लखनऊ, 1985। इसके अलावा शिपिंग कानून और अन्य विषयों के विभिन्न पहलुओं पर कई लेख। अन्य अनुभव: 1977 से भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली के शासी निकाय के सदस्य। सचिव, भारतीय विधि संस्थान, केरल शाखा, 1967-71। अध्यक्ष, सार्वजनिक भाषण संस्थान, मद्रास, 1963-65। हेग एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल लॉ में 1960-64 में अंतर्राष्ट्रीय विधि पर पाठ्यक्रमों और विचार गोष्ठियों में भाग लिया। भारत और विदेशों में विधिक विषयों पर कई संगोष्ठियों में भाग लिया। सदस्य, बार काउंसिल, केरल, 1958-60। मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष, 1949-50। एक छात्र के रूप में भारत और विदेशों में वाद-विवाद प्रतियोगिताएं जीतीं।