न्यायमूर्ति ए.एस. आनंद

नाम: डॉ. न्यायमूर्ति आदर्श सैन आनंद जन्म तिथि: 1.11.1936 जन्म स्थान: जम्मू (जम्मू-कश्मीर राज्य) योग्यता: प्रारंभिक शिक्षा जम्मू में मॉडल अकादमी से प्राप्त की; 1958 में जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की; लखनऊ विश्वविद्यालय से 1960 में प्रथम श्रेणी के साथ एल.एल.बी.और श्रम कानून में डिप्लोमा; 1963 में लंदन विश्वविद्यालय से कानून (राष्ट्रमंडल का संवैधानिक कानून) में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री प्राप्त की। 1964 में लंदन में माननीय सोसाइटी ऑफ इनर टेम्पल, द्वारा बार में बुलाया गया। चंडीगढ़ के पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत की और सम्मानजनक स्थान बनाया। 38 वर्ष और छह माह की आयु में, 26.5.1975 को जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुई और फरवरी, 1976 में उसी न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुये। 26.5.1984 को, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुये, और 11.5.1985 को उसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुये। 1.11.1989 को प्रभावी रूप से, मद्रास उच्च न्यायालय की न्याय-व्यवस्था में मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका स्थानांतरण हुआ। नवंबर, 1991 में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ में पदोन्नति हुई। जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश के रूप में विभिन्न जांच आयोगों और अन्वेषण आयोगों का नेतृत्व किया। 1989 में भारत सरकार द्वारा नियुक्त उच्च न्यायालय बकाया समिति के सदस्य थे। वह पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में अंशकालिक प्राध्यापक रहे, जम्मू विश्वविद्यालय मे, जम्मू विश्वविद्यालय परिषद और विधि संकाय, के सदस्य भी रहे हैं साथ ही कश्मीर विश्वविद्यालय के विधि संकाय के अध्ययन बोर्ड के सदस्य रहे। वह इस्लामिया कॉलेज, श्रीनगर के शासकीय निकाय के सदस्य थे और जम्मू विश्वविद्यालय के विधि संकाय के अध्ययन बोर्ड के सदस्य हैं। इन्होनें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया, उनमें से उल्लेखनीय है 1977 में मनीला (फिलीपींस) में पहला अपीलीय न्यायाधीश सम्मेलन; 1984 में नई दिल्ली में अपीलीय न्यायाधीश सम्मेलन, 1984 और 1986 में लॉ एशिया सम्मेलन और 1994 में नई दिल्ली में सार्क कानून सम्मेलन; 1997 में वाशिंगटन में दूसरा विश्वव्यापी सामान्य कानून न्यायपालिका सम्मेलन; अक्टूबर, 1998 में कोलंबो, श्रीलंका में सार्क मुख्य न्यायाधीशों का सम्मेलन; 4-9 जुलाई, 1999 को एडिनबर्ग (स्कॉटलैंड) में तीसरा विश्वव्यापी सामान्य कानून न्यायपालिका सम्मेलन। “द कांस्टीट्यूशन ऑफ़ जम्मू एंड कश्मीर – इट्स डेवलपमेंट एंड कमैंट्स ” नामक पुस्तक के लेखक हैं। तीसरा संशोधित संस्करण 1998 में प्रकाशित हुआ था। 1996 में सर्वसम्मति से इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन राइट्स सोसाइटी (सेवानिवृत्त) के अध्यक्ष के रूप में चुने गये। 14 मार्च, 1996 को लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विशेष दीक्षांत समारोह में एलएल.डी. (मानद उपाधि) की उपाधि से सम्मानित किया गया। 19 मई, 1997 को यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन की अध्येतावृत्ति से सम्मानित किया गया। 10 अक्टूबर, 1998, को प्रभावी रूप से, राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (भारत) के संरक्षक-प्रमुख बने। 1998 में, सर्वसम्मति से माननीय निर्वाचित सोसाइटी ऑफ इनर टेम्पल, लंदन के बेंचर मानद बेंचर के रूप में चुने गए। 10 अक्टूबर, 1998 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुये। 20 मार्च, 1999 को जम्मू विश्वविद्यालय में आयोजित 9वें दीक्षांत समारोह में डॉक्टर ऑफ लेटर्स (मानद उपाधि) की उपाधि से सम्मानित किया गया। 01.11.2001 (पूर्वाह्न) को सेवानिवृत्त हुये।