न्यायमूर्ति बी एन श्री कृष्ण

श्रीमान न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण का जन्म 21.05.1941 को हुआ, उन्होंने विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और सरकारी लॉ कॉलेज और मुंबई विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम की उपाधि प्राप्त की। 23.12.1962 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुये और श्रम और औद्योगिक कानून के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की। 17.06.1987 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। बार में रहते हुये कई पेशेवर संघों के सदस्य थे। लेबर लॉ प्रैक्टिशनर्स, बॉम्बे और द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट, बॉम्बे के आजीवन सदस्य थे।. एम्प्लॉयर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, बॉम्बे की पश्चिमी क्षेत्र समिति के सदस्य और औद्योगिक संबंध अनुसंधान एसोसिएशन, यू.एस.ए. और इंटरनेशनल बार एसोसिएशन, लंदन के माननीय सदस्य थे । 30-7-1990 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश और 3-10-1991 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुये। जनवरी 1993 में, दिसंबर 1992-जनवरी 1993 के दौरान मुंबई में हुये दंगों और घटनाओं की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग के रूप में नियुक्त किए गए। यू.एन.एच.सी.आर. और आई.ए.आर.एल.जे. द्वारा अक्टूबर 1999 में नई दिल्ली में एक सेमिनार और कार्यशाला में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। यू.एन.एच.सी.आर. द्वारा आमंत्रित किया गया। और I अक्टूबर 1999 में नई दिल्ली में एक सेमिनार और कार्यशाला में भाग लेने के लिए यू.एन.एच.सी.आर और आई.ए.आर.एल.जे द्वारा आमंत्रित किए गए।अक्टूबर 2000 में उत्पीड़न के नए आयामों पर स्विट्जरलैंड के जिनेवा और बर्न में एक सेमिनार और कार्यशाला में भाग लेने के लिए यू.एन.एच.सी.आर और आई.ए.आर.एल.जे द्वारा आमंत्रित किया गया और भारतीय परिप्रेक्ष्य पर एक पत्र प्रस्तुत किया, जो आई.ए.आर.एल.जे. की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। नवंबर 2001 में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की न्यायसंगतता विषय पर नई दिल्ली में यू.एन.एच.सी.एच.आर, जिनेवा और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित सेमिनार में एक सत्र की अध्यक्षता करने के लिए आमंत्रित किए गए। 06-09-2001 को केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए। 3-10-2002 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए । 21.5.2006 (पूर्वाह्न)को सेवानिवृत्त हुये।