बंद करे

    न्यायमूर्ति आर. एम. लोढ़ा

    rmlodha

    दिनांक 28 सितंबर 1949 को जोधपुर में जन्मे राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.के. मल लोढ़ा के पुत्र। फरवरी, 1973 को बी.एस.सी. और जोधपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री अर्जित की और बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में नामांकित हुये। राजस्थान उच्च न्यायालय में विधि की सभी शाखाओं वकालत की: संवैधानिक, सिविल, कंपनी, आपराधिक, कराधान, श्रम, आदि। वह 1990 से 1992 की अवधि के दौरान जयपुर पीठ में भारत संघ के संपूर्ण वाद के प्रभारी केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता थे। उन्होंने विशेष अधिवक्ता के रूप में महत्वपूर्ण मामलों में राजस्थान उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व किया। राजस्थान राज्य औद्योगिक और निवेश विकास निगम, राजस्थान पाठ्यपुस्तक बोर्ड, राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड, भरतपुर केंद्रीय सहकारी बैंक, राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, केन्द्रीय विद्यालय आदि जैसे कई सरकारी निकायों, अर्ध-सरकारी निकायों, सार्वजनिक प्राधिकरणों की ओर से कई महत्वपूर्ण मामलों में बहस की। 31 जनवरी, 1994 को राजस्थान उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुये। बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित हुये, जहां उन्होंने 16 फरवरी, 1994 को पदभार ग्रहण किया। एक न्यायाधीश के रूप में, बॉम्बे उच्च न्यायालय में तेरह वर्षों तक एक न्यायाधीश के रूप में वह लगभग सभी अधिकारिताओं में आसीन रहे और कई वर्षों तक संवैधानिक मामलों, कर कानूनों, मध्यस्थता, बौद्धिक संपदा, भूमि अधिग्रहण, श्रम, सहकारी समितियों, जनहित याचिका आदि से निपटने वाली खंड पीठों की अध्यक्षता की। विधि के महत्वपूर्ण प्रश्नों वाली पूर्ण पीठों में भी पीठासीन रहे। उन्होंने कानून के विभिन्न मुद्दों पर बड़ी संख्या में निर्णय पारित किये हैं जो विभिन्न पत्रिकाओं में छपे हैं। उन्होंने बौद्धिक संपदा, लिंग पूर्वाग्रह और एचआईवी/एड्स पर प्रधान न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण सम्मेलनों, अध्ययन समूहों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया है। वह बॉम्बे हाई कोर्ट के प्रशासन में शामिल थे (i) वरिष्ठ प्रशासनिक न्यायाधीश (ii) सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 122 के तहत गठित नियम समिति के अध्यक्ष (iii) जिला न्यायालयों में कम्प्यूटरीकरण के लिए ई-समिति के अध्यक्ष (iv) अध्यक्ष, मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन के लिए निगरानी समिति (v) विजिटर, विजिटर्स बोर्ड, न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान, नागपुर (vi) सदस्य, अनुशासनात्मक समिति, भवन समिति, न्यायिक अधिकारियों की समीक्षा समिति, उच्च न्यायालय के प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारियों के मामलों की समीक्षा हेतु समीक्षा समिति, वित्त समिति और विभिन्न अन्य प्रशासनिक समिति। वह कॉफेपोसा अधिनियम, 1974 और महाराष्ट्र राज्य में एम.पी.डी.ए. अधिनियम, 1981 के तहत गठित सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष थे। उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय में पुनः स्थानांतरित कर दिया गया जहां उन्होंने 2 फरवरी, 2007 को पदभार ग्रहण किया। वह राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश रहे। वह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर से इसके कार्यकारी सदस्य के रूप में जुड़े थे और राज्य न्यायिक अकादमी, राजस्थान के अध्यक्ष रहे। दिनांक 13 मई, 2008 को मुख्य न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय के रूप में शपथ ली। 17 दिसंबर, 2008 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। दिनांक 27.09.2014 (पूर्वाह्न) को सेवानिवृत्त हुये।