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    न्यायमूर्ति एम. हमीदुल्लाह बेग

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    श्रीमान न्यायमूर्ति मिर्ज़ा हमीदुल्लाह बेग, एम.ए. (कैंटैब), बैरिस्टर-एट-लॉ; 22 फरवरी, 1913 को लखनऊ में जन्म हुआ; हैदराबाद राज्य के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मिर्जा समीउल्लाह बेग के पुत्र; सेंट जॉर्ज समर स्कूल, हैदराबाद (डेक्कन) में शिक्षा प्राप्त की; सीनियर कैंब्रिज एच.एस.एल.सी. परीक्षा, 1929; में सराहनीय प्रदर्शन दिखाते हुये प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 1931 में ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में शामिल हुये और 1934 में, पुरातत्व, मानवशास्त्र और ऐतिहासिक ट्रिपोज़ में बी.ए. (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की; और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र, सार्वजनिक वित्त, राजनीतिक सिद्धांत और संगठन, संवैधानिक कानून और अंतरराष्ट्रीय कानून में उन्नत कक्षाओं में भाग लिया, माननीय लिंकन इन सोसायटी में शामिल हुये; इंग्लैंड में काउंसिल ऑफ लीगल एजुकेशन द्वारा आयोजित बार परीक्षाओं में हिंदू और मोहम्मदन कानूनों में प्रथम श्रेणी प्राप्त की, फरवरी, 1941 में बार में बुलाया गया; 1942 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता के रूप में मेरठ और इलाहाबाद में वकालत की; 1943 से 1946 तक मेरठ कॉलेज, मेरठ में संवैधानिक कानून और समानता पर व्याख्यान, और 1946 से 1963 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में साक्ष्य के कानून और मानव कानून और प्राचीन कानून पर व्याख्यान; 1949 में भारत के संघीय न्यायालय, और बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक अधिवक्ता के रूप में नामांकित, सभी पक्षों पर एक व्यापक वकालत की; वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय और उ.प्र. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के स्थायी अधिवक्ता थे।, और नगर निकायों हेतु अक्सर उपस्थित हुये; 11 जून, 1963 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ में प्रस्तुत हुये; आपराधिक और सिविल दोनों पक्षों में और फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की कर पीठ पर पीठासीन हुये; इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कंपनी न्यायाधीश नियुक्त हुये और 1967 के मध्य से 1970 तक उच्च न्यायालय के वैवाहिक और वसीयतनामा क्षेत्राधिकार के प्रभारी भी थे; जनवरी, 1971 में हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुये; 10.12.1971 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश; अंतरराष्ट्रीय कानून संघ और विश्व न्यायाधीश संघ के सदस्य के रूप में नियुक्ति; 29.01.1977 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किये गये। 21.02.1978 को सेवानिवृत्त हुये।