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    न्यायमूर्ति ए. के. पटनायक

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    न्यायमूर्ति अनंग कुमार पटनायक का जन्म 03.06.1949 को हुआ। वह स्वर्गीय श्री गोपाल चंद्र पटनायक के पुत्र हैं, जो उड़ीसा के एक प्रमुख व्यवसायी थे। उनकी स्कूली शिक्षा राजकुमार कॉलेज, रायपुर में हुई। उन्हें स्कूल में “सर्वोत्तम सर्वांगीण आचरण और नेतृत्व” हेतु पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में ऑनर्स के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त की और मधुसूदन लॉ कॉलेज, कटक से विधि की उपाधि प्राप्त की। उन्हें 1976 में रोटरी फाउंडेशन द्वारा ग्रुप स्टडी एक्सचेंज प्रोग्राम में चुना गया और अमेरिका के संस्थानों और वहां के लोगों के अध्ययन के लिए न्यू जर्सी, यू.एस.ए. गए। उन्हें 28.03.1974 को स्टेट बार काउंसिल ऑफ़ उड़ीसा में नामांकित किया गया। उन्होंने उड़ीसा में उच्च न्यायालय, अधीनस्थ न्यायालयों और अधिकरणों में वकालत की और कई बार भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष भी उपस्थित हुये। उन्होंने वाणिज्यिक विधि और संवैधानिक विधि में विशेषज्ञता के साथ विधि की विभिन्न शाखाओं में वकालत की। वह 02.05.1989 से 01.09.1990 तक उड़ीसा राज्य सड़क परिवहन निगम के लिए स्थायी अधिवक्ता थे और 22.09.1990 से 12.01.1994 तक उड़ीसा सरकार के वाणिज्यिक कर संगठन के लिए वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता रहे। उन्हें 13.01.1994 को उड़ीसा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और स्थानांतरण पर 07.02.1994 को गौहाटी उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। वह 1995 में गौहाटी उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। गौहाटी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में आठ वर्षों तक मूल्यवान सेवाएं प्रदान करने के बाद, उन्होंने 15.04.2002 को फिर से उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला। वह उड़ीसा उच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ अवर न्यायाधीश थे और उड़ीसा राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष थे। वह उड़ीसा न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी थे। उन्हें 14.03.2005 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्त किया गया। स्थानांतरण पर, 02.10.2005 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। 17.11.2009 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 03.06.2014 (पूर्वाहन) को सेवानिवृत्त हुये। भारत के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, उड़ीसा के विजिटर और नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, भोपाल के विजिटर के रूप में नामांकित किया गया। 02.03.2012 को उत्कल विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ (मानद उपाधि) की उपाधि से सम्मानित किया गया। भारत के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय विधि सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में नामांकित किया गया। भारत के मुख्य न्यायमूर्ति /अध्यक्ष, भारतीय विधि संस्थान द्वारा भारतीय विधि के पुनर्कथन पर भारतीय विधि संस्थान की परियोजना के लिए ‘संवैधानिक विधि और संबद्ध विषयों’ पर समिति के अध्यक्ष के रूप में नामांकित किया गया। 02.06.2014 (पूर्वाहन)को सेवानिवृत्त हुये।