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    न्यायमूर्ति पी.बी. गजेंद्रगडकर

    pbgajendragadkar

    प्रल्हाद बालाचार्य गजेंद्रगडकर, एम.ए., एलएल.बी., भारत के मुख्य न्यायाधीश। जन्म: 16 मार्च, 1901; शिक्षा: सतारा हाई स्कूल (1911 से 1918); कर्नाटक कॉलेज (1918-1920); डेक्कन कॉलेज (1920 से 1924); दक्षिणा फेलो (1922-24); झाला वेदांत प्राइज़मैन; भगवानदास पुरषोतमदास संस्कृत विद्वान (1922-24); लॉ कॉलेज, पूना (1924-26)। 1950; हिंदू लॉ क्वार्टरली; सर लल्लूभाई शाह व्याख्यान श्रृंखला, बॉम्बे विश्वविद्यालय दत्तक ग्रहण हिंदू कानून, का संपादन किया; 1951; हिंदू कोड बिल पर विश्वविद्यालय विस्तार व्याख्यान, कर्नाटक विश्वविद्यालय। 1953 और 1954 में महाराष्ट्र सामाजिक सम्मेलन की अध्यक्षता की; 1955; मार्च-जुलाई,अध्यक्ष, बैंक पुरस्कार आयोग; 1964, दिल्ली विश्वविद्यालय में कानूनी शिक्षा के पुनर्गठन पर समिति के अध्यक्ष; बम्बई विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और बनारस विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य रहे। 1926 में बॉम्बे अपीलीय साइड बार में कानूनी पेशे में शामिल हुये; 1945-57, बॉम्बे उच्च न्यायालय, न्यायाधीश; 1957 सर्वोच्च न्यायालय, न्यायाधीश; 1 फरवरी, 1964 से भारत के मुख्य न्यायाधीश। भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली; भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली; इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, नई दिल्ली, इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ, नई दिल्ली; ह्यूमनिस्ट यूनियन, नैनीताल; यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, नई दिल्ली; जनरल एजुकेशन सोसायटी, बॉम्बे; शिक्षण प्रसारक मंडली, पूना; इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली और कई अन्य शैक्षणिक और सामाजिक संस्थानों से निकटता से जुड़े रहे। प्रकाशन; नंद पंडित की दत्तक मीमांसा के संस्कृत पाठ और उसका अंग्रेजी अनुवाद “लॉ, लिबर्टी एंड सोशल जस्टिस” (एशिया प्रकाशन) – लाला लाजपत राय मेमोरियल व्याख्यान खंड; कई लेखों और प्राक्कथनों की रचना की है दिनांक 15.03.1966 को सेवानिवृत्त हुये।